निवेदिता...निवि
ऑफिस में जब भी कोई नया एम्प्लॉई आता, सब उसको नया कबूतर कहते...
आज भी एक बिज़नेस मैनेजर ने जॉइन किया, तीखे नैन नक्श, फर्राटेदार इंग्लिश बोलने और घुंघराले बालों वाली इस कन्या ने सब का मन मोह लिया था. एक नामचीन इंस्टिट्यूट से एम.बी.ए. किया था इसने, दिखने में गोरी चिट्टी और छरहरी काया वाली इस बाला का नाम है निवेदिता, लेकिन वो सबसे कहती मुझे निवि बुलाओ, शॉर्ट और स्वीट है, कहने में ईज़ है....
लड़के इसको ताकते रहते, लड़कियां उसके जैसी दिखना चाहती, कुछ ने तो उसके जैसे हाई हील्स भी ले लिए थे, पर वो अदा वो नज़ाकत कैसे लाते...
उसके तेवर भी गज़ब थे, बॉस को नाम से बुलाती थी, आनंद को एंडी कहती थी... इन फैक्ट आनंद से उसकी पटरी कुछ ज़्यादा ही जम रही थी... आनंद और निवेदिता... सॉरी निवि एक ही कॉलेज के एलुमनाई थे...
उन दोनों को साथ हंसते हुए देखा जाता था, कॉफ़ी ब्रेक में.
पूनम... तू कुछ कर, शेफ़ाली बोली...
क्या हुआ, क्या करना है...
ये निवि कुछ ज़्यादा ही आनंद सर के चैम्बर में नहीं जाती...
अरे नई कबूतरी है, थोड़े दिन पंख फड़फड़ायेगी और फिर शांत...
दोनों हंस पड़ी...
और शेफ़ाली ऐसी निविया को न हम रोज़ रगड़ते हैं... पूनम ने आंख मारी...
दोनों ठहाका मार के हंस दी...
महेशजी आये चाय देने, आप दोनों मैडम थोड़ा नीची आवाज़ में बात करो, आप की आवाज़ बॉस के चैम्बर तक जा रही है..
दोनों फिर मुँह दबा के हंसी..
एक एक्सपो के लिए इंदौर का ट्रिप प्लान हो रहा था, आनंद के साथ किसीको जाना था, उज्जैन इंदौर से एक घंटे का रास्ता था, पूनम को भेजने का पूरा चांस था... मगर जब टिकट्स हुए तो निवि का नाम था, एच. आर. मैनेजर ने पूनम के पूछने पर बॉस पर बात डाल दी... बॉस ने बोला इसलिए...
ख़ैर आनंद और पूनम आज फिर कॉफी पीने गए, मगर आज पूनम उखड़ी हुई थी,
सुनो चाँद, ये क्या शक्ल बना रखी है, थोड़ा मुस्कुराओ, शाम को खुशनुमा बनाओ...
हाँजी, अब चार दिन आप निवि को कॉफ़ी पिलाओगे तब इंदौर में शामें खुशनुमा होंगी
अच्छा पूनम, आनंद कुछ सीरियस होकर बोला... इंदौर में कुछ अच्छे कैफ़े का नाम बताओ.. तुम्हारे मामा है ना वहां..
पूनम ने आंखें फैलाई और टिश्यू को रोल करके आनंद पे फेंका...
आनंद ज़ोर से हँसा...
तुम बहुत नादान हो चाँद..
बिज़नेस ट्रिप है... बॉस को लगा कि निवि न्यू है तो उसको थोड़ा एक्सपोज़र मिलेगा...
आनंद मेरे लिए तो घर जाने जैसा होता न... मुझे भेज देते बॉस, और वो सड़क पर आते जाते लोगों को देखने लगी...
आनंद ने धीरे से हाथ बढ़ाया, उसकी ठोड़ी से उसका चेहरा अपनी ओर किया और कहने लगा..
तुम यह नहीं सोचती कि मेरा क्या हाल होगा इन चार दिनों में.. तुमको देखे बिना..कैसे रहूंगा...
आनंद जब आंखों में सीधे देखते हुए बात करता तो पूनम हिप्नोटाइज़ हो जाती..
वो हल्के से मुस्काई और कहा... फ़ोन कर लेना, शाम को चाहो तो वीडियो कॉल कर लेना...
वीडियो कॉल भी करूँगा पर तुम्हारे साथ यूँ बैठ कर बात करने का मज़ा ही अलग है.. आनंद ने रूमानी होते हुए कहा...
आनंद और पूनम फिर बातें करने लगे,मगर पूनम मन ही मन डरी हुई सी थी...
इंदौर के एक्सपो में क्या हुआ... अगली बार बताता हूँ, फिलहाल के लिए यहीं तक... पोस्ट और लंबी और बोझिल हो जाएगी...
- मनोज के.
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