यादों के मोड़ पर तुम

 कभी-कभी तुम्हारी यादें बिना किसी चेतावनी के दिल के दरवाजे पर दस्तक देती हैं। ऐसा लगता है जैसे समय वहीं रुक गया हो, जहाँ हमने एक-दूसरे को अलविदा कहा था। तुम्हारी बातें, तुम्हारी हँसी, तुम्हारी आदतें—सब कुछ अब भी मेरे जहन में ताजा है। ऐसा नहीं है कि मैंने तुम्हें भुलाने की कोशिश नहीं की, लेकिन कुछ यादें दिल से मिटाई नहीं जा सकतीं।

रोजमर्रा की ज़िंदगी में जब भी कोई तुम्हारी तरह हँसता है, तुम्हारी पसंद का गाना बजता है, या कोई तुम्हारी तरह किसी बात पर नाराज़ होता है, तब दिल एक पल के लिए वहीं ठहर जाता है। सोचता हूँ, अगर फिर से मुलाकात हो जाए, तो क्या हम पहले जैसे हो पाएँगे? क्या वही अपनापन, वही नादानियाँ, वही अधूरी सी हँसी वापस आ सकेगी?

कई बार ख्याल आता है कि अगर हम दोबारा मिलें, तो क्या बातें करेंगे? शायद कुछ नहीं, या शायद बहुत कुछ। हो सकता है, बस एक नजर ही काफी हो यह समझने के लिए कि हमने एक-दूसरे को भले ही खो दिया हो, पर वो एहसास अब भी जिंदा है। लेकिन शायद कुछ अधूरी कहानियाँ अधूरी ही अच्छी होती हैं, क्योंकि उन्हें संजोकर रखने से उनकी मिठास बनी रहती है। फिर भी, दिल कहीं न कहीं एक उम्मीद रखता है—कि किसी अनजान मोड़ पर, किसी अचानक आए लम्हे में, तुम फिर से सामने आ जाओ। और उस वक्त, बिना कुछ कहे, बिना किसी शिकवे के, बस एक मुस्कान से बीते हुए वक्त को महसूस कर सकें।

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