आज फिर लिखने को मन कर रहा है..
ज़िन्दगी इस भागदौड़ में कुछ चैन की सांस ली तो मन हुआ कुछ लिख दिया जाए।
बहुत सोचा क्या लिखूं....
अभी कुछ दिन पहले एक मित्र से मुलाक़ात हुई, वह लिखूं ..... क्या बातें हुई, घर बार की बातें .... यारी दोस्ती की बातें... दुनियादारी की बातें... पर क्या यह भी लिख दूँ..
फिर सोचा दो भाइयो की कहानी लिख दूँ। बहुत दिनों से ब्लॉगर पर है, एडिट करना बाकी है और एक उपयुक्त शीर्षक की तलाश है ... पर बहुत दिन से भाई का फ़ोन नहीं आया, मैंने भी नहीं किया...
मौसम ठंडा है ... मन क्या हिलोरे ले रहा है.... पुराने दिन याद आते हैं.... युनिवर्सिटी के दिन ..... ६ साल गुज़ारे हैं वहां..... कितने दोस्त, अब न जाने कहाँ है सब . ... यूनिवर्सिटी याद आते ही वह भी याद आ जाती है , क्यों नहीं पीछा छोड़ती उसकी याद। सारे सबूत जला चुका .... यह दिल बाकी रह गया ......इसका क्या करूँ ..... यह तो जलता ही रहता है बस धुआं ही है, आग किसी को नज़र नहीं आती....
ज़िन्दगी ठीक-ठाक चल रही है .... लोग यहाँ पहुँच कर बहुत खुश हैं। क्या मैं भी यहीं आना चाहता था.... उनको दिखा रहा हूँ .... मैं भी खुश हूँ...
बहुत सोचा क्या लिखूं....
अभी कुछ दिन पहले एक मित्र से मुलाक़ात हुई, वह लिखूं ..... क्या बातें हुई, घर बार की बातें .... यारी दोस्ती की बातें... दुनियादारी की बातें... पर क्या यह भी लिख दूँ..
फिर सोचा दो भाइयो की कहानी लिख दूँ। बहुत दिनों से ब्लॉगर पर है, एडिट करना बाकी है और एक उपयुक्त शीर्षक की तलाश है ... पर बहुत दिन से भाई का फ़ोन नहीं आया, मैंने भी नहीं किया...
मौसम ठंडा है ... मन क्या हिलोरे ले रहा है.... पुराने दिन याद आते हैं.... युनिवर्सिटी के दिन ..... ६ साल गुज़ारे हैं वहां..... कितने दोस्त, अब न जाने कहाँ है सब . ... यूनिवर्सिटी याद आते ही वह भी याद आ जाती है , क्यों नहीं पीछा छोड़ती उसकी याद। सारे सबूत जला चुका .... यह दिल बाकी रह गया ......इसका क्या करूँ ..... यह तो जलता ही रहता है बस धुआं ही है, आग किसी को नज़र नहीं आती....
ज़िन्दगी ठीक-ठाक चल रही है .... लोग यहाँ पहुँच कर बहुत खुश हैं। क्या मैं भी यहीं आना चाहता था.... उनको दिखा रहा हूँ .... मैं भी खुश हूँ...
सादा और सुंदर!
ReplyDeleteधन्यवाद :)
ReplyDeleteदिख गई आग.'वह भी याद आ जाती है? आएगी.हमेशा आएगी.क्योंकि उससे जुडी कई यादें खूबसूरत रही होगी. कडवी होती तो कभी के भुला चुके होते.किन्तु...निराश नही होना अपने प्यार को,उसकी यादों को अपनी ताकत बना लो.जब कभी किसी मोड़ पर मिल जाए तो बताना मैं काबिल बन गया हूं.बड़ी पोस्ट पर हूं.सफलताए हैं और...खुशियाँ भी.जीवन कहीं भी ठहरता नही है.मैं भी नही ठहरा.
ReplyDeleteऔर........जब तुम्हारी अपनी दुनिया होगी जिसमे पत्नी और प्यारे प्यारे दो बच्चे होंगे (एक नही,समझे).अकेले में बैठे जब सोचोगे तो हंसोगे,मैंने भी किया था ये सब.जिसे मैं प्यार समझ बैठा वो एक उम्र में होने वाला आकर्षण था.प्यार का मतलब जिम्मेदारी,त्याग,दूसरों के लिए जीना होता है,मनु!
अरे लिखते क्यों नहीं।
ReplyDeleteजब जो लिखने का मन करे, लिख डालिये। विचार बड़े आत्मसम्मानी होते है, पुनः नहीं आते हैं।
ReplyDeleteये तो माइल स्टोंस हैं, मंजिलें तो बेनिशां होती है.
ReplyDeletewow bhaya aap to dil bhe de chuke ho ?
ReplyDeletebhabhi ko bola ki n?
@इंदु जी
ReplyDeleteहँसता हूँ खूब, उसे बताने के लिए नहीं की मैं खुश हूँ बल्कि इसलिए की वह जहाँ भी है खुश है.
@उन्मुक्त
जी ज़रूर लिखूंगा
@प्रवीण पाण्डेय
यह शब्द अंकित हैं, जल्दी ही दो भाइयों की कहानी प्रकाशित करूँगा. बस थोड़ा काम बाकी है...
@किशोरजी
धन्यवाद.
कुछ माईलस्टोंस याद रह जाते हैं .. जहाँ ज़्यादा वक्त गुज़रा. रुक कर सोचा यही मंजिल है .. पर फिर ज़िंदगी का धक्का लगा और आगे बढ़ना पड़ा..
@ravnit kumar
उसे मालूम है. मैं कोई बात छिपाता नहीं .. वह उसे जानती है और मिल भी चुकी है...
अरे वारि जाएं जी आपके मन पर ..जिसके कारण आपका लिखने का दिल हुआ । लिखते रहिए ...शुभकामनाएं
ReplyDeleteजिंदगी ठीक ठाक चल रही है......मैं भी खुश हूँ। पंक्तियाँ सब बयां कर रही हैं।
ReplyDeleteसबका यही हाल है.......... आपने हमारे साथ अपनी मनोदशा बांटी अच्छा लगा।
आपको गणेश चतुर्थी की शुभकामनायें
.............................................
यहाँ भी पधारें
हैप्पी बर्थ डे बप्पा......
http://my-babynotes.blogspot.com
लिखने के लिए खूब खजाना है आपके पास. और पढ़ने के लिए धैर्य की कोई कमी नहीं है हमारे पास.
ReplyDeleteज्ञानजी से पूछिए वे क्या करते है।
ReplyDeleteजब कोई विषय नहीं मिलता तो आलू , मच्छर् वगैरह पर भी कुछ ठेल देते हैं।
मेरी समझ में नहीं आता कि आपको क्या दिक्कत है विषय चुनने में।
सारा संसार है आपके सामने, जरा खिड़की के बाहर झाँकिए, आपको कुछ न कुछ जरूर मिल जाएगा।
अखबार का किसी एक पृष्ट देखिए, जरा टी वी ऑन कीजिए.
बस एक मिनट में आपको दो दर्जन विषय मिल जाएंगे।
आपका इस पोस्ट को ही लिजिए।
कोई विषय ही नहीं फ़िर भी आप पोस्ट लिखने में कामयाब हो गए।
यही है ब्लॉग लेखन का आकर्षण।
आप स्वतंत्र हैं, जो मन में आए लिखिए।
हम हैं न पढने वाले।
यदि ब्लॉग्गर लोग लिखेंगे नहीं तो हम जैसे inveterate और habitual टिप्पणीकार कहाँ जाए?
हम तो हमेंशा यही ताक में रहते हैं कि कहाँ, किस ब्लॉग पोस्ट पर कुछ टिप्पणी करूँ।
लो आज एक नया बकरा मिल गया।
अब आपको मुझे झेलना ही होगा।
शुभकामनाएं
जी विश्वनाथ, बेंगळूरु
@ अजय कुमार झा
ReplyDeleteशुभकामनाओं के लिए शुक्रिया
@डॉ मोनिका शर्मा
गणेश चतुर्थी की आपको भी शुभकामनाएँ
@ संजय व्यास
लिखने के लिए वास्तव में बहुत कुछ है. हमारे एन्थ्रोपोलॉजी के एक प्रोफेसर कहा करते थे - everything under the sun is Anthropology. ठीक यही बात ब्लोगिंग के बारे में लागू होती है, कुछ भी और सब कुछ ब्लॉग किया जा सकता है. जल्दी ही लिखूँगा. आपके उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद.
@G Vishwananth
अजी बकरा आपका स्वागत करता है.. सुस्वागतम
कल ही एक नई पोस्ट डालूँगा.
मनोज जी कभी-कभी ऐसा होता है...मुझे मेरे एक पंजाबी कवि मित्र हरभजन सिंह रेणू की पंक्तियां याद आ गईं...
ReplyDeleteजिस रा’त नींद नईं औन्दी.........औस रात कविता वी नईं औंदी
manoj ji ..jo ho sab baanch dijiye..
ReplyDeleteQuote:
ReplyDelete=================
@G Vishwananth
अजी बकरा आपका स्वागत करता है.. सुस्वागतम
कल ही एक नई पोस्ट डालूँगा
=============
Unquote:
क्या हुआ?
पिछले तीन दिन से यहाँ झाँकर देखा, वही पुराना पोस्ट मिला।
अगला पोस्ट कभ?
शुभकामनाएं
जी विश्वनाथ
Attendance mark kar lo....
ReplyDeletePhir aaunga!
Ashish
'वह भी याद आ जाती है, क्यों नहीं पीछा छोडती उसकी याद'
ReplyDeleteमनोज भाई,
इसी पर अटक गया हूँ! क्या कहें अब आपको?
पिछली पोस्ट में ही लिखा था:
दूर किसी के पास,
मेरे माज़ी की परछाई है!
छू के देखो ज़रा,
फिर से सीली सी हवा आयी है!
यूँ तो उसने जहां में,
की मेरी रुसवाई है!
फिर भी आज उसकी,
बेइन्तेहाँ याद आयी है!
यादों का क्या है? इनका कोई धर्म-ईमान नहीं होता!!!
अब कल ही की बात ले लो,
बटर स्कॉच आईसक्रीम खाई,
एक बार फ़िर उसकी याद आयी!
ज़िंदगी की कटोरी में.........
मेरी तनहा चम्मच को,
उसकी चम्मच याद आयी!
हम तो सोच चुके हैं दिल्लगी सबसे और दिल की लगी किसी से नहीं!
जिस खूंटे से बंधेंगे, उसी से प्यार करेंगे!
ज़िंदगी को सीर्यसली नहीं सिंसिअर्ली लीजिये...... खुश रहिये!
आशीष
simple and nice
ReplyDelete@ आशीष जी
ReplyDeleteआपको क्या कहूँ, बहुत खूब लिखतें हैं आप. यहाँ आपने जो लिखा, मज़ा आ गया.
@neelima ji
thanks for coming, do visit often