डे ऑफ
आज मूड कुछ 'low' था । कुछ ख़ास वजह नहीं थी 'लो' होने की, कभी कभी ऐसा होता है, कारण तो ज़रूर होगा लेकिन शायद मुझे पता नहीं था ....
इसी लो मूड में में वर्किंग पर निकल गया । हम फार्मा वालों का भी अजीब है, जब सारी दुनिया का 'डे ऑफ' होता है तब हम लोग वर्किंग पर निकलते हैं... और तब तक काम करते रहते हैं जब तक परचून की दुकान, समोसे-पताशी वाले अपना डे-ऑफ नहीं करते ....
इसी वर्किंग के सिलसिले में एक डॉक्टर साहब के घर काल करने गए। कोई आठ बजे होंगे डॉक्टर साहब अपना डे ऑफ कर चुके थे । हम निकल पड़े दूसरे डॉक्टर साहब से मिलने के लिए- जी हाँ काल करने... एक 'T' पॉइंट पर एक साईकिल वाले से टक्कर हो गयी, दो लड़के बड़ी तेज़ी से आ रहे थे एक रेसिंग साईकिल पर, पता नहीं क्या हुआ उनकी साईकिल आउट ऑफ़ कंट्रोल हुई या राम जाने, हम से आके भिड़े, उनके पीछे 'wagonR' और उसके पीछे बस सब ची करके रुक गए... मेरी मोटर साईकिल के पीछे हमारी कंपनी का 'MR' था, उसने तो सुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी, हमने आज तक जो सुना था वह कम था । खैर हाथ में झटका और नई मोटरसाइकिल पर स्क्राच आ गया था। वहां से रवाना हुए तो अगले चौराहे पर एक सरस डैरी दिखाई दी, यह लोग दूध, पनीर, छाछ के अलावा भी सामान रखते हैं.... सो हमारे 'MR' ने एक चिप्स का पेकेट और कोल्ड ड्रिंक ली और मेरा मूड फ्रेश करने का जतन करने लगा , सर आपको चोट तो नहीं लगी .... गाडी में तो ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है...
ख़ैर हम डॉक्टर साहब के यहाँ पहुंचे और १ घंटे इंतज़ार करने के बाद काल हुई वह भी बिलकुल रुखी .... अच्छा देखते हैं .... 'pet dialogue' है डॉक्टर्स का जब इन्हें किसी कम्पनी के प्रोडक्ट नहीं यूज़ करने होते ।
९ बज चुके थे और अब कहीं कोई डॉक्टर नहीं मिलने वाला था , सो हमन घर की तरफ चल पड़े, 'MR' को उसकी मोटरसाइकिल तक ड्रॉप किया जो की हॉस्पिटल प्रेमिसेस में पार्क की हुई थी और अपने राम ने टाई ढीली की, शर्ट की आस्तीन ऊपर सरकाई और निकल पड़े... जाने क्यों ख्याल आ रहा था .... उन दोनों लड़कों का तो आज डे ऑफ बुरा हुआ.... मेरा भी कोई ख़ास अच्छा नहीं हुआ था....
देखा एक बन्दा मोटरसाइकिल पर बैठ कर पैर से दौड़ा रहा है, थोडा धीमे करके देखा तो भैया हांफ रहे थे .... देखने से ही लग रहा था की पेट्रोल ख़तम हो गया था और अगला पेट्रोल पम्प काफी दूर था और चढाई वाला रास्ता सो अलग । तभी ख्याल आया मनोज भैया आज किसी का डे ऑफ अच्छा हो न हो , इस बन्दे की मदद करके अपना तो अच्छा कर लो.... सो भैया हमने उसको कहा ले हाथ पकड़ और थोड़ी ही देर में पहुँच गए पेट्रोल पम्प । रुके नहीं, उसका नाम नहीं पूछा, अपना नहीं बताया , बस चल पड़े घर की तरफ...
अपना तो अच्छा हो गया था डे ऑफ ......
इसी लो मूड में में वर्किंग पर निकल गया । हम फार्मा वालों का भी अजीब है, जब सारी दुनिया का 'डे ऑफ' होता है तब हम लोग वर्किंग पर निकलते हैं... और तब तक काम करते रहते हैं जब तक परचून की दुकान, समोसे-पताशी वाले अपना डे-ऑफ नहीं करते ....
इसी वर्किंग के सिलसिले में एक डॉक्टर साहब के घर काल करने गए। कोई आठ बजे होंगे डॉक्टर साहब अपना डे ऑफ कर चुके थे । हम निकल पड़े दूसरे डॉक्टर साहब से मिलने के लिए- जी हाँ काल करने... एक 'T' पॉइंट पर एक साईकिल वाले से टक्कर हो गयी, दो लड़के बड़ी तेज़ी से आ रहे थे एक रेसिंग साईकिल पर, पता नहीं क्या हुआ उनकी साईकिल आउट ऑफ़ कंट्रोल हुई या राम जाने, हम से आके भिड़े, उनके पीछे 'wagonR' और उसके पीछे बस सब ची करके रुक गए... मेरी मोटर साईकिल के पीछे हमारी कंपनी का 'MR' था, उसने तो सुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी, हमने आज तक जो सुना था वह कम था । खैर हाथ में झटका और नई मोटरसाइकिल पर स्क्राच आ गया था। वहां से रवाना हुए तो अगले चौराहे पर एक सरस डैरी दिखाई दी, यह लोग दूध, पनीर, छाछ के अलावा भी सामान रखते हैं.... सो हमारे 'MR' ने एक चिप्स का पेकेट और कोल्ड ड्रिंक ली और मेरा मूड फ्रेश करने का जतन करने लगा , सर आपको चोट तो नहीं लगी .... गाडी में तो ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है...
ख़ैर हम डॉक्टर साहब के यहाँ पहुंचे और १ घंटे इंतज़ार करने के बाद काल हुई वह भी बिलकुल रुखी .... अच्छा देखते हैं .... 'pet dialogue' है डॉक्टर्स का जब इन्हें किसी कम्पनी के प्रोडक्ट नहीं यूज़ करने होते ।
९ बज चुके थे और अब कहीं कोई डॉक्टर नहीं मिलने वाला था , सो हमन घर की तरफ चल पड़े, 'MR' को उसकी मोटरसाइकिल तक ड्रॉप किया जो की हॉस्पिटल प्रेमिसेस में पार्क की हुई थी और अपने राम ने टाई ढीली की, शर्ट की आस्तीन ऊपर सरकाई और निकल पड़े... जाने क्यों ख्याल आ रहा था .... उन दोनों लड़कों का तो आज डे ऑफ बुरा हुआ.... मेरा भी कोई ख़ास अच्छा नहीं हुआ था....
देखा एक बन्दा मोटरसाइकिल पर बैठ कर पैर से दौड़ा रहा है, थोडा धीमे करके देखा तो भैया हांफ रहे थे .... देखने से ही लग रहा था की पेट्रोल ख़तम हो गया था और अगला पेट्रोल पम्प काफी दूर था और चढाई वाला रास्ता सो अलग । तभी ख्याल आया मनोज भैया आज किसी का डे ऑफ अच्छा हो न हो , इस बन्दे की मदद करके अपना तो अच्छा कर लो.... सो भैया हमने उसको कहा ले हाथ पकड़ और थोड़ी ही देर में पहुँच गए पेट्रोल पम्प । रुके नहीं, उसका नाम नहीं पूछा, अपना नहीं बताया , बस चल पड़े घर की तरफ...
अपना तो अच्छा हो गया था डे ऑफ ......
:) बहुत सुन्दर पोस्ट.. वाह निकल गयी बस.. एक लिफ़्ट देकर सिन अच्छा कर लिया.. चलो एक काम और कर लो कि अपने ब्लोग को ब्लोगवाणी या चिट्ठाजगत से जोड लो.. लोगो को तुम्हे पढने मे आसानी रहेगी..
ReplyDeleteऔर वर्ड वेरीफ़िकेशन भी हटा दो.. आसानी होगी कमेन्ट करने मे..
@Pankaj
ReplyDeletethanks for the appreciation, I know my writing is NOT worth it, but anyways thanks again..
chittajagat se jodne ke liye kya karna hoga aur yeh bhi bata dijiye ke word verification kaise hatega..
aakhir aap blogging mein hamare guru hain :)
"तभी ख्याल आया मनोज भैया आज किसी का डे ऑफ अच्छा हो न हो, इस बन्दे की मदद करके अपना तो अच्छा कर लो सो भैया हमने उसको कहा ले हाथ पकड़ और थोड़ी ही देर में पहुँच गए पेट्रोल पम्प । रुके नहीं, उसका नाम नहीं पूछा, अपना नहीं बताया , बस चल पड़े घर की तरफ..."
ReplyDeleteनेकी कर दरिया में डाल - सच्ची और अच्छी सोच
@राकेश कौशिक
ReplyDeleteaapki visit ke liye dhanyavaad, aate rahiyega aur guide bhi karte rahiyega, abhi naya hoon bahut kuch sikhna baaki hai
regards,
हिन्दी ब्लॉगजगत के स्नेही परिवार में इस नये ब्लॉग का और आपका मैं हार्दिक स्वागत हैं.
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनाएं !
आपकी लेखन शैली बहुत ही सरल और सीधी साधी लगी और् यही सबसे बड़ी खूबसूरती है....बहुत सुन्दर...बड़ी शांती का अनुभव हुआ...
ReplyDeleteशुभकामनायें
सादर
चन्दर मेहेर
कृपया इन ब्लॉगों को पढ़ने के लिये Mozila Firefox गूगल के ज़रिये ब्राऊज़र मुफ्त में डाऊनलोड करें और इस बराऊज़र के ज़रिये ही इन्हें पढ़ें....
मेरे ब्लॉग हैं
ReplyDelete:
lifemazedar.blogspot.com
kvkrewa.blogspot.com
आपने किसी की मदद कर के उसका डे तो ओन कर दिया. घर जाकर कैसा लगा आपको जरूर बताना
ReplyDelete@kavita rawat
ReplyDeletebahut bahut dhanyavaad. aate rahiyega...
@Avtar Meher Baba urf Doc saab
aapka swagat hai blog par, pl do visit again. thanks for the appreciation, mujhe lagta hai mein kuch khaas acha likhta nahin.. but phir bhi shukriya
@yugal mehra
bhaut achha feel kiya aur sone se pehle hi usse yahan blog par likh diya
निकल लीजिये बाहर, दिन कुछ न कुछ तो अच्छा ढूढ़ ही लेता है।
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