कैमरा एंड माइक...


एक्सपो ख़त्म होने के दूसरे ही दिन आनन्द को ऑफिस में ठीक समय पर देख कर लोग कुछ चकित थे, ये वही लोग हैं जो नए हैं और आनंद के डेडिकेशन को नहीं जानते ... जो आनंद को जानते हैं, वो लोग चकित होते अगर आनंद ऑफिस नहीं आता.

निवेदिता कुछ लेट ऑफिस पहुँचती है, पास वाली डेस्क  पर  शिशिर है, कंपनी का हेड डिज़ाइनर उसने बताया कि आनंद सर पहले ही पहुँच चुके हैं. निवेदिता भी अचरज करती है....कुछ फाइल्स और पेपर्स लेकर वो आनंद के चैम्बर की तरफ जाती है, लेकिन ग्लास डोर के पास पहुँचते ही देखती है कि पूनम आनंद के चैम्बर में है, और स्क्रीन पर कुछ दिखाते हुए आनंद पूनम को कुछ समझा रहा है ... निवेदिता उलटे पैर अपनी डेस्क तक आती है और  फाइल्स टेबल्स पर पटककर गुस्से में चेयर पर बैठती है और फुसफुसाती है ...डिसगस्टिंग ...शिशिर सुनता है और पूछता है ...क्या हुआ निवि ...चैम्बर में पूनम थी क्या ...? निवि गुस्से में शिशिर को देखती है  शिशिर समझ जाता है कि ही शुड माइंड हिज़ बिज़नेस...शिशिर अपने काम में फिर से मगन हो जाता है ...कुछ देर में जब पूनम मुस्कुराते हुए आनंद के चैम्बर से निकलती है ...निवि गुस्से में फाइल्स लेकर आनंद के चैम्बर में दाखिल होती है ...आनंद चेयर से उठता है
निवि सपाट चेहरे से कहती है ...कैन वि डिसकस समथिंग अबाउट द क्लाइंट्स वि मेट एट द एक्सपो ...
आनंद अपना कोट चेयर से निकालकर पहनते हुआ कहता है ... निवि तुम प्रोपोज़ल्स बना दो मैं बाद में आकर देख लूंगा, अभी मैं निकल रहा हूँ ...
निवेदिता पूछती है ...हाफ डे लिया है क्या तुमने एंडी  ...
नहीं, मैं एक क्लाइंट के साथ लंच करने जा रहा हूँ ... बिज़नेस लंचेज़ यू सी ...और मुस्कुराते हुए चैम्बर से बहार निकल जाता है ...
निवेदिता गुस्से में फिर से अपनी डेस्क तक जाती है और एक लम्बी सांस छोड़ते हुए चेयर पर बैठती है ...शिशिर फिर उसकी तरफ देखता है और मुस्कुराता है और फिर अपने पी.सी. पर काम में लग जाता है

इधर पूनम से शेफ़ाली पूछती है ...क्या बात हुई चैम्बर में ...कुछ नॉटी लहज़े में
पूनम मुस्कुराती हुई कहती है ...नथिंग ...बिज़नेस एज़ यूज़ुअल ...
तो कॉफी का प्रोग्राम नहीं बना क्या शाम का ...शेफ़ाली पूछती है
नहीं वो तो हम सुबह ही कैफ़े हो आये थे ...पूनम बताती है
ओ तेरी ...अब सुबह भी कॉफ़ी ... शेफाली अपना हाथ हवा में घूमाते हुए थोड़ा सरप्राइज होती है
पूनम आँखें फैलाकर उसको नकली गुस्सा दिखाती है ...
शेफ़ाली दांत निपोरते हुए हंसती है
उसको देखकर पूनम भी हंसती है
शेफाली पूनम की चेयर नज़दीक खींचकर उसके कान में कहती है ...तू जब आनंद के चैम्बर में थी न, तेरी निविया गयी थी चैम्बर की तरफ ...तुम दोनों को देखकर उलटे पाँव लौट गयी ...बड़ी तिलमिलाई हुई सी दिख रही थी ...
तू ये न गॉसिप बंद कर और उन तीन क्लाइंट्स के काम खत्म कर जो पेंडिंग हैं ...पूनम कहती है
शेफाली थोड़ा उखड़ते हुए कहती है ...तू बिलकुल नीरस प्राणी है पुन्नो ...
पूनम उसकी तरफ चेहरा घुमाकर पूछती है ...क्या बोला तूने ...
शेफाली आँख मारते हुए बोली ...ये नाम भी किसी की प्राइवेट प्रॉपर्टी होते हैं ...हम अपनी जिगरी पूनम को पुन्नो बुला सकते हैं या फिर आनंद ही बुला सकता है पुन्नो ... बता ज़रा
पूनम अपने माथे पर हाथ रखती है और कहती है ...तू न थोड़ा काम करले ...
शेफाली कहती है ...ओके करते हैं ...हम जैसे लोग काम ही कर सकते हैं ...इश्क़ तो तुम्हारे नसीब में आया है ...
पूनम हंसने लगती है, कहती है ...चुप कर अब
तभी महेश जी कॉफ़ी लेकर आते हैं ...
आप दोनों मैडम धीरे बात करो ...सर सुनेंगे ...
शेफ़ाली महेशजी को बीच में  ही टोककर कहती है ...महेशजी आपको क्या लगता है हम कभी बिग बॉस के चैम्बर में नहीं गए, उनका चैम्बर यहाँ से बहुत दूर है, हमारी आवाज़ नहीं जाती वहां तक ...
महेशजी तजुर्बेकार हैं, मुस्कुराते हुए, कॉफ़ी ट्रे को टेबल पर रखते हैं और अपनी शर्ट का कॉलर ठीक करते हुए कहते हैं, ये जो सी.सी.टी.वी. के कैमरे लगे हुए हैं न मैडम, इसमें एक माइक भी होता है ...तो जो फीड देखता है वह आवाज़ भी सुन सकता है ...
पूनम और शेफाली एक दूसरे को देखते हैं फिर महेश जी को देखते हैं ...
महेशजी टेरर फैला के कॉफ़ी ट्रे उठा के बड़ी सी स्माइल के साथ पैंट्री की तरफ जाते हैं ...
शेफाली डर के मारे कहती है ...यार पूनम ये तो मरने वाले काम है...


पूनम ज़्यादा डरी हुई है और कहने लगती है ...शेफु यार इसका मतलब बिग बॉस को मेरे और आनंद के सीन का अन्दाज़ा है ...पूनम का चेहरा फक्क सा पड़ जाता है

शेफाली आँखें मूँद के कहती है ... अंदाज़ा नहीं ...सब पता है उन्हें ...
पूनम का मुंह खुला रह जाता है ...शेफु तुझे कैसे पता ...पूनम कुरेदती है
शेफाली अपने होटों पर ऊँगली रख कर पूनम को चुप रहने के लिए कहती है और फिर कहती है ...कॉफ़ी ले ले, कॉरिडोर में बात करते हैं, चल...

पूनम तेज़ क़दमों से कॉरिडोर से होते हुए स्टेयरवेल की तरफ गई... पीछे पीछे शेफाली मानो भागती हुई सी ...उसको फॉलो कर रही थी...पूनम हाँफ रही थी... परेशान थी,  दोनों हाथ मलते हुए कहा....शेफाली यार यह तो मरने वाले काम हो गए शेफाली तुरंत बोली क्यों घबराती है... सबको पता है ऑफिस में,  कि तेरा और आनंद का सीन है 

पूनम बोली ...अब मैं क्या करूं... 

शेफ़ाली ने कहा...करना क्या है घबराने से तो कुछ होगा नहीं एक्सेप्ट करो कि तुम और आनंद एक दूसरे से प्यार करते हो.. 

आनंद अपनी क्लाइंट मिनट के बाद ऑफिस पहुंचता है आनंद के चेंबर में एंटर होने के कुछ ही पलों बाद पूनम आनंद के चेंबर में दाखिल होती है और आनंद से कहती है ... आनंद हम लोगों को सब को बताना पड़ेगा कि  वी लव ईच अदर... आनंद कहता है... हां ठीक है सबको बताने का मतलब यह तो नहीं कि हम ढिंढोरा पीटे... सबको मालूम है और हमें भी पता है कि सब जानते हैं तो बस फिर सब ठीक है कुछ करने को रहता नहीं.... आनंद समझाते हुए कहता है...

पूनम को थोड़ा दिलासा मिलता है वह आनंद के चैम्बर से बाहर निकलती है और तभी तेज़ कदमों से निवेदिता आनंद के चैम्बर में आती है...

एंडी, आय नीड यू  ऑन दीज़ टू प्रोपोज़ल्स...

आनंद तल्लीनता से प्रोपोज़ल्स पढ़ने लगता है. कुछ डिस्कशन होता है प्रपोजल्स के बारे में, और आनंद दोनों प्रपोजल्स को क्लोज करता है, तब तक ऑफिस से निकलने का समय हो रहा होता है । निवेदिता आनंद से कहती है तुम्हारा कोई स्पेशल असाइनमेंट या प्रोग्राम तो नहीं शाम का ...आनंद जवाब देता है ....नहीं कोई प्रोग्राम नहीं है शाम का तुम बताओ मैं सोच रही थी किसी कैफे में चलकर कुछ हल्का फुल्का स्नेक्स और कॉफी हो जाती है, सुबह तुम्हारे अमरूद ही खाये थे, लंच भी ठीक से किया नहीं,  आनंद सोचकर कहता है... मैं शायद नहीं चल सकूंगा तुम्हारे साथ... थकान काफी हो रही है सफर की ...घर जाकर अर्ली डिनर लूंगा और स्ट्रेट टू बेड... सो जाऊंगा ... एक फीकी मुस्कान अपने चेहरे पर लाता है आनंद...

निवेदिता को बुरा तो लगता है पर वह एक्सप्रेस नहीं  करती.

निवेदीता आनंद के चैंबर से बाहर निकलती है आनंद फोन उठाकर पूनम को व्हाट्सएप पर मैसेज लिखता है

 चांद शाम को फ्री हो ना

कुछ ही पलों बाद पूनम का रिप्लाई आता है ... हां फ्री हूं ...क्या बात है...

आनंद लिखता है बस कुछ नहीं कहीं दूर चले लंबी ड्राइव पर कैफ़े वगैरह में बैठने का तो मन नहीं है... शाम को
पूनम के बहुत सारे स्माईली वाला रिप्लाई आता है... हां हां क्यों नहीं चलो ना...

- मनोज के.

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