लव कम अरेंज्ड

ऑफिस में सेकंड सैटरडे को खास काम नहीं होता, स्टाफ को पेड हाफ डे मिलता है, अगर कोई चाहे तो हाफ डे ले सकता है...
लगभग सभी एम्प्लॉई हाफ डे लेते हैं। जो लोग नहीं लेते, उनके काम पेंडिंग होते हैं या फिर सेल्स वाले, जिनके टारगेट पूरे नहीं होते तब वो सेकंड सैटरडे को पूरा दिन काम करते हैं।

8 फरवरी को भी सेकंड सैटरडे था, पूनम ने आनंद को मैसेज किया आज हाफ डे लूंगी, आपका क्या प्लान है..
आनंद ने कहा हां, कहीं लंच के लिए चलते हैं...
ऑफिस के बाद आनंद और पूनम साथ ही निकलते हैं, लिफ्ट में आनंद कहता है, पूनम बिग बॉस को कह दिया मैंने...वी आर थिंकिंग ऑफ गेटिंग इंगजड..
पूनम हैरान होकर पूछती है... फिर सर ने क्या कहा...
आनंद कहता है... सर ने कहा, आय नो अबाउट यू गायस, आल द बेस्ट तो यू .
पूनम मुस्कुराती है.

आनंद पूनम को एक 5 स्टार होटल के रेस्टोरेंट लेकर जाता है। पूनम कुछ झिझकती है, आनंद से कहती भी है... सुनो आनंद, यह रेस्टॉरेंट कुछ महँगा नहीं क्या...
आनंद मुस्कुराता है और कहता है... लेट्स एन्जॉय अवर लंच...
पूनम भी मुस्काती है और कहती है हाँजी बिल्कुल...

वेटर आर्डर लेके जा चुका होता है. आनंद कहना शुरू करता है...सुनो चाँद, मैंने मम्मी को हमारे बारे में बता दिया है. मैंने उनसे कहा है कि आप और पापा पूनम से मिल लो, बात करलो, आप लोगों को अगर ठीक लगे तो बात आगे बढ़ाते हैं. 
पूनम कहती है.. अगर उन्हें ठीक नही लगी मैं तो...
तो फिर तुम अपने रास्ते और मैं अपने.. आनंद थोड़ा ड्रामा करता है
पूनम कुर्सी पर आगे होकर आनंद का हाथ पकड़कर कहती है.. मैं मर जाऊंगी आनंद...
आनंद खिलखिला कर कहता है, यार मज़ाक कर रहा हूँ...
तुमने तो जान निकाल दी थी...पूनम कुछ रुआंसी सी होकर कहती है।

पूनम एक बार खड़ी होना ...आनंद कहता है... 
पूनम टेबल के पास खड़ी हो जाती है, उसे पता है आनंद उसे कई बार आफिस में भी ऐसे ही कहता और फिर उसे देखकर उसकी ड्रेस की तारीफ करता या जलाने के लिए उसकी ड्रेस को भद्दी और वाहियात कहकर उसका मज़ाक उड़ाता, और फिर वो झूठमुट नाराज़ होती... 

आनंद भी कुर्सी से उठता है, इधर उधर देखता है और बुदबुदाता है...कैसे करते हैं...
पूनम कुछ समझ पाती उससे पहले आनंद अपना एक घुटना फ्लोर पर टिकाकर अपनी कोट की जेब से एक छोटी डिबिया निकालता है और उसे खोलकर पूनम के आगे कर देता है...
विल यू मैरी मी..
पूनम की आंखों में आंसू आ जाते हैं और वो लगभग चीखते हुए कहती है... आय विल..
आनंद उठता है और उसे गले लगा लेता है, पूनम उसके होटों को चूमती है।
आस पास टेबल्स पर लोग खड़े होते हैं और तालियां बजाते हैं, कुछ लोग आनंद और पूनम को बधाई देने आते हैं... 
रेस्टोरेंट मैनेजर भी दोनों को बधाई देने आता है. 

संडे को पूनम सुबह साढ़े छह बजे आनंद को कॉल करती है
उधर से किसी महिला की आवाज़ सुनकर घबराती है और हकलाकर बोलती है... आ आनन्द जी से बात करनी है ...
हां पूनम बेटा, आनंद सो रहा है... मैं उसकी मदर बात कर रही हूँ
पूनम कहती है... नमस्ते आन्टी, सॉरी आपकी आवाज नहीं सुनी पहले इसलिए पहचान नहीं पाई..
कोई नहीं बेटा, अच्छा जगा दूं आनंद को...
नहीं आंटी, मैं बाद में काल करती हूं.
पूनम फ़ोन रखती है और परेशान सी हो जाती है, कमरे में चक्कर लगाती है...
शेफ़ाली उसे बात करते सुनती है तो उठ जाती है...
पुन्नू क्या हुआ इतनी जल्दी उठ गई, मुझे भी जगा दिया..
पूनम दौड़कर उसके पास आती है और कहती है.. शेफ़ाली यार गड़बड़ हो गयी, मैंने आनंद को फ़ोन किया तो उसकी मम्मी ने उठाया... मैं भी कितनी पागल हूँ, सीधे बोल दिया ...आनंद से बात करनी है...
शेफ़ाली उबासी लेते हुए अंगड़ाई लेती है और रज़ाई खिंचके लेट कर आँखे बंद करती है तो पूनम उसको हिलाकर कहती है.. बता ना शेफ़ाली, अब क्या करूँ...
शेफ़ाली झटके से उठती है और कहती है....इश्क़ तुम करो और नींद हमारी खराब हो... अजब रीत है यार...

शेफ़ाली ऐसे मत कर यार,बता न क्या करूँ..पूनम पूछती है...

रज़ाई खींच और सोजा, 11 बजे जाना है ना आनंद के यहाँ, तू भी सो और मुझे भी सोने दे...
शेफ़ाली लेटने को होती है तो पूनम हाथ पकड़कर फिर उसे उठा देती है
शेफाली हाथ जोड़कर कहती है...कुछ नहीं हुआ ... तुम नहीं जानती किसने फ़ोन उठाया, बस ठीक हैना...
अब सोने दे, और खबरदार उठाया तो...
और शेफ़ाली रज़ाई लेकर सो जाती है...

पूनम पलंग पर से उठकर शेफ़ाली के सिरहाने जाकर पूछती है..पक्का न..कोई गड़बड़ नहीं हुई...

शेफ़ाली रज़ाई से मुट्ठी निकालती है
अच्छा अच्छा सो जा...पूनम कहती है

पूनम 15 मिनट पहले ही आनंद के फ्लैट पर पहुंचती है, बेल सुनकर मोहित दरवाज़ा खोलता है
पूनम मोहित को पहचानती है, दो एक बार वो ऑफिस आया था आनंद को फ्लैट की चाबी देने, उसकी ट्यूरिंग होती थी , आनंद ने मिलवाया था..
हेलो पूनम .. मोहित कहता है
पूनम सिर्फ स्माइल करती है...

आनंद ड्राइंग रूम में आता है, पूनम को देखता है, डार्क ब्लू कुर्ती और माथे पर छोटी सी बिंदिया
आनंद पूनम को बैठने के लिए कहता है, और अंदर चला जाता है.
बाई पानी लेकर आती है , मोहित सामने सोफे पर बैठकर न्यूज़पेपर देख रहा होता है.
बड़े से ड्राइंग रूम में एक टीवी, सेंटर टेबल और सोफे के अलावा ज़्यादा फर्नीचर नहीं होता, पूनम इधर उधर देख ही रही होती है कि तभी आनंद अपनी मम्मी के साथ रूम में आता है

पूनम उठकर आनंद की माँ के पैर छूती है. 

आनंद की माँ पूनम को देखकर अभिभूत हो जाती है, अपने छोटे से पर्स से 2000 का नोट निकालकर पूनम को देने लगती है, पूनम हिचकिचाती है तभी आनंद  कहता है.. रख लो पूनम ... शगुन है...

थोड़ी देर पूनम से परिवार की बातें होती हैं उसके बाद आनंद की माँ रसोई की तरफ जाती है.. पूनम भी उठकर उनके पीछे रसोई तक जाती है
ऑन्टी मैं हेल्प करवा दूं आपकी..
अरे बेटा, आओ अंदर... सब तैयारी हो रखी है खाने की..
वैसे बेटा यह अच्छी बात लगी की तुमको रसोई के काम में भी दिलचस्पी है...
हाँ ऑन्टी खाना बनाना अच्छा लगता है पर ज़्यादा डिशेस नहीं आती..
अरे बेटा मुझे भी कहाँ आती थी, मैं भी स्कूल में पढ़ाती थी जब शादी हुई, धीरे धीरे किताबें और टीवी से ही सीखा..
पूनम मुस्कुराती है

आनंद और मोहित क्रिकेट मैच की बातें में मशगूल थे, पूनम ड्राइंग रूम तक आती है और कहती है.. आप लोग आइए खाना रेडी है...

आनंद और मोहित डाइनिंग टेबल पर पहुंचते हैं
आनंद की मां डिशेस लेकर आती हैं, और एक कुर्सी खींच कर बैठती है... मुस्कुरा कर कहती हैं.. अन्नू (आनंद को उसकी माँ अन्नू कहती है) टिकेट देख उज्जैन के...मिल आएं समधी लोगों से...

आनंद चेयर को पीछे खिसका कर देखता है पूनम को, पूनम किचन के दरवाज़े के पीछे से झांकती है, थोड़ा शर्माती है और मुस्कुराती है.





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