लॉक डाउन वाला बर्थडे


साल 2020, होली का त्यौहार, तुमने एक फोटो भेजी, गालों पर गुलाबी अबीर मला हुआ, आँखों में मेरे लिए प्यार और होटों पर मुस्कुराहट


यह दिन कुछ जल्दी बीत रहे थे, कॉलेज में तुम और हम मिलते ज़रूर थे, मगर चारों तरफ़ कोरोना वायरस की बातें हो रही थी... हमारे बैच  में जो लोग बाहर से इस शहर में पढ़ने आये थे, उनमें से कुछ अपने घरों को रवाना हो गए, बाकि ने भी घर जाना तय कर लिया था. मेरी भी टिकट बन चुकी थी मगर जाने से पहले ही मार्च के आखिरी हफ्ते में सरकार की तरफ से लॉक डाउन की घोषणा हो गयी. पूरे हॉस्टल में सिर्फ आशीष और मैं बचे थे, छह सिक्योरिटी गार्ड्स में से सिर्फ महेश ही रुका था, असल में उसका गाँव जाना नहीं हो पाया, और जाता भी कहाँ, गाँव में चाचा थे और उनका परिवार, महेश के माता पिता का देहांत काफी समय पहले हो गया था. 


लॉक डाउन लगने के साथ ही मानो सब चीज़ें रुक सी गयी, हॉस्टल, यूनिवर्सिटी और आसपास मोहल्लों की सड़के सब सुनसान सी थी... हालाँकि इन दिनों मौसम ज़रूर खुशगवार हो चला था, दिन कुछ म्यूज़िक सुनते और शामें हॉस्टल की छत पर तुमसे वीडियो कॉल करके निकलती. 


लॉक डाउन ख़त्म  होने से ५ रोज़ पहले मेरा बर्थडे था. तुमने रात १२ बजे ही वीडियो कॉल पर मुझे विश कर दिया था, सबसे पहले। 


सुबह घर पर मम्मी पापा से भी बात भी हो गयी थी. मम्मी ज़रूर उल्हना दे रही थी कि क्या कर रहा है हॉस्टल में, घर आजाता .. . और मम्मी को समझा के थक गया था, टिकट करवाई थी, पर जिस दिन की टिकट थी उससे ठीक २ दिन पहले लॉक डाउन की घोषणा हो गयी थी और सारी ट्रैन और बस सर्विसेज को हाल्ट कर दिया गया था. खैर पापा सिर्फ इतना कहते थे, ध्यान रखना और खाने में लापरवाही मत करना. 


सुबह के ११ बजे थे और तुम्हारा फ़ोन आया, कहाँ हो में आ रही हूँ, 

मैंने  मज़ाक समझा  और कहा कैसे आओगे, पुलिस ने आवाजाही पर रोक लगा रखी है... 

उसकी चिंता मत करो... 

अरे पर... 

तुम्हारा बर्थडे है और मैं  न आऊं.. आई विल बी देयर इन टवेंटी मिनट्स... 


मैं और कुछ कहता इससे पहले तुमने कॉल डिसकनेक्ट कर दिया, मैं कॉरिडोर में आया, हॉस्टल के मैन गेट और उसके बाहर तक की सड़क यहाँ से दिखती थी, सड़क पर कुछ पत्ते बिखरे  थे जो किसी तेज़ हवा के झोंके से उड़ पड़ते और आवाज़ करते, इसी बीच मैंने तुमको दो बार फ़ोन भी लगाया पर शायद तुम अपनी बात पर खरी थी, शायद घर से निकल गयी थी... 

तभी मेरी नज़र हॉस्टल के गेट तक आती सड़क पर गयी, मोड़ पर तुम्हारी स्कूटी दिखी, कुछ ख़ुशी हुई कुछ घबराहट, मैं दौड़कर ग्राउंड फ्लोर पर आया और मैन गेट की तरफ भागता हुआ पहुंचा, तुम पहुंची और तुमने हेलमेट उतारा, तुम्हारे बाल शायद ढंग से बंधे नहीं थे, खुल के हवा के एक झोंके के साथ लहराते हुए तुम्हारे चेहरे को ढँक दिया, तुमने अपने चेहरे से बालों को कानों के पीछे धकेला और मुस्कुरा कर हैप्पी बर्थडे कहा... 


तुम न... सच में पागल हो, ऐसे माहौल में आना क्या ज़रूरी था... 

जान, तुम्हारा बर्थडे हो और मैं न आऊं.. 

पर तुम आयी कैसे 

तुमने स्कूटी पर स्टीकर दिखाया 

अरे ये तो तुम्हारा मौसा जी के क्लिनिक का लेटर हेड है... वाह, तो मैडम डॉक्टर बन गयी 

नहीं नर्स

और हम दोनों हंस पड़े 

अब क्या धूप में खड़ा रखोगे... 

हाँ चलो रूम में चलते हैं


हम रूम में पहंचते हैं... 

तुम जूट  के बैग से टिफ़िन निकालती हो, उसमें एक केक था, शायद तुमने घर पर ही बनाया होगा 

तुम केक को टेबल पर रखती हो, एक मोमबत्ती जलाती हो और गाने लगती हो... 

हैप्पी बर्थडे टू यू 

हैप्पी बर्थडे टू यू 

और मुझे गले से लगाती हो 

मैं सिर्फ थैंक्स बोलता हूँ 

हम दोनों केक खाते हुए कॉलेज और दोस्तों की बातों में लगे हुए होते हैं 

तभी अचानक तुम मेरे गाल पर एक किस जड़ देती हो 

मैं कुछ समझ नहीं पाता 

यह जनाब आपकी बर्थडे गिफ्ट थी 

मैं सिर्फ थैंक्स बोल पता हूँ 


तुम जाने को होती हो, मैं रुकने का इशारा करता हूँ और तुम्हें हग करता हूँ... 

कुछ मिनट बाद तुम धीरे से कहती हो... अब मैं जाऊं 

मैं तुम्हे अपनी बाँहों में ही समेटे रखना चाहता हूँ... नहीं थोड़ी देर और.. 


तुम्हारी स्कूटी तक धीमे क़दमों से हम दोनों पहुँचते हैं. चारों तरफ सिर्फ सन्नाटा है, सड़क सूनी है, पेड़ों के पत्तों की सरसरहाट है या फिर तुम्हारे और मेरी धड़कनों  की आवाज़ जो सुनाई दे... 


तुम स्कूटी स्टार्ट करती हो 

सुनो श्रुति, इस नायब बर्थडे सेलब्रेशन के लिए शुक्रिया. 

तुम मुस्कुराती हुई स्कूटी पर सवार होकर आँखों से ओझल हो जाती हो... 


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