एक्सपो नाइट्स

मंडे को सेल्स मीट के बाद आनंद और निवेदिता जल्दी ऑफिस से निकल गए
आनंद ने गॉगल पहनते हुए लिफ्ट में निवेदिता से कहा, वि शेल मीट एट द स्टेशन...
यस आनंद ... आय शेल बी ऑन टाइम ...

दोनों स्टेशन पर मिले, निवेदिता पहले से प्लेटफार्म पर थी जब आनंद पहुँचा ...
आनंद ने मुस्कुरा कर कहा ... आय ऍम लेट न ...
नो आनंद आय अम लिटिल अर्ली ... मुझे ट्रेवल से पहले एंग्जायटी रहती है ... मैं  अक्सर एक-डेढ़ घंटे पहले ही एयरपोर्ट और स्टेशन पहुँच जाती हूँ ...
वेल देट इस गुड ...
हाँ बट जब ट्रैन लेट होती है तो बहुत इंतज़ार करना पड़ता है ...
आनंद हंस पड़ा ... सो तो है ...
बट हमारी ट्रैन टाइम पर है, इनफैक्ट 9 मिनट्स में पहुँच जायेगी ... आय चेक्ड ...
हम्म ... अच्छा है ...
निवेदिता कुछ उदास सी लगी आनंद को ... उसने पूछना मुनासिब नहीं समझा ...
ट्रैन प्लेटफार्म पर आयी, दोनों सवार हुए और ट्रैन चल पड़ी ... कुछ एक्सपो की बातें होने लगी और फिर पैंट्री से खाना आ गया ...
दोनों ने खाना खाया और फिर कुछ पर्सनल बातें होने लगी ...दोनों का कॉलेज एक था तो कुछ प्रोफेसर लोगो का मज़ाक बनाया गया  ...उन जगहों की बातें हुई जो उनके कॉलेज के लोग चाय और गपशप के लिए जाते थे ...
आनंद को लगा अब निवेदिता कुछ सहज हुई...
निवेदिता खिड़की की तरफ बैठी थी, लोअर और मिडिल बर्थ मिली थी रेज़र्वेशन के समय, ट्रैन कुछ सवा नौ बजे निकली थी जयपुर से ...और अब रात के पौने ग्यारह हो रहे थे, निवेदिता खिड़की से बाहर देख रही थी, यदा कदा कोई टिमटिमाता बल्ब किसी मकान के बाहर दिख जाता ...एक बार पास वाले ट्रैक पर दूसरी ट्रैन निकली, धड़धड़ाती हुई तो निवेदिता खिड़की से दूर हुई, मानो अँधेरी रात में कोई भूत खिड़की के पास आकर आवाज़ कर रहा है ...

आनंद ने पूछा ...कुछ उदास लग रही हो निवि ...
निवेदिता ने अपना नाम निवि सुना तो अपना चेहरा घुमाया और एक गहरी मुस्कान के साथ कहा ...नहीं बस थकान है
आनंद ने कहा... चलो वी शुड कैच सम स्लीप ...
हाँ बिल्कुल ...दोनों ने अपने ब्लैंकेट संभाले और आनंद ने मिडिल बर्थ की चैन अटैच की और मिडिल बर्थ पर चढ़ गया ...
निवेदिता बोली ...अगर दिक्कत हो तो मैं मिडिल पर सो सकती हूँ ...
नहीं ...आय ऍम कम्फर्टेबल...आनंद ने निवेदिता का चेहरा देखा ...नाईट बल्ब की रोशनी कम थी मगर उसके चेहरे पर उदासी अब नहीं थी ...
दोनों ने मुस्कुरा कर एक दूसरे को गुड नाईट विश किया और आनंद ने लाइट बंद करके आँखें मूँद ली ...

सुबह लगभग पांच बजे उज्जैन पर आनंद की आँख खुली ...कुछ लोग उतर रहे थे ...चाय की आवाज़ें प्लेटफार्म से सुनाई दे रही थी ...आनंद पलटफोर्म से दो कप चाय ले आया, बर्थ के पास पहुँचा तो देखा, निवेदिता अभी सो रही है, निश्छल और शीतल चेहरे पर सुकून था ...एकबारगी आनंद ने सोचा उसे उठाऊ नहीं, मगर तभी ट्रेन एक झटके के साथ चली तो निवेदिता की आँख खुल गयी ...उसने आनंद को सामने देखा तो कहा...
गुड मॉर्निंग और एक लम्बी सी मुस्कान उसके चेहरे पर आयी ...
आनंद उसी को देख रहा था ...सहसा उसका गुड मॉर्निंग कहना... लगा उसकी चोरी पकड़ी ...हाँ गुड मॉर्निंग निवि ...चाय लोगी ...
यस व्हाई नॉट ...
मिडिल बर्थ को खोला गया और दोनों चाय पीने लगे ...
यू  प्रेफर कॉफ़ी ओवर टी ...निवेदिता ने कहा
निवि हम लड़कों को वक़्त पे जो भी मिल जाए ... हम लोग काम चला लेते हैं ...
दोनों हंस पड़े ...
निवेदिता की हंसी बेफिक्री वाली थी ...

इंदौर आने में अभी समय था, ट्रेन में लगभग अब आधी सीट्स खाली हो चुकी थी ... कॉलेज की बातें हुई फिर निवेदिता अपने और अपनी फॅमिली के बारे में बात करने लगी ...उसके पापा एक मल्टीनेशनल कंपनी में फाइनेंस हेड हैं, मदर टीचर थीं मगर कुछ साल पहले सांस की दिक्कत के चलते स्कूल छोड़ चुकी थी और अपने खाली समय में गरीब बच्चों को मुफ्त में पढ़ातीं हैं ..उनकी बस्ती में जाकर क्लासेज लेती हैं, उनकी दो और फ्रेंड्स भी हैं...तीनो सहेलियां बच्चों को पढ़ाती हैं  ... 
एक छोटी बहन है जो इलेवेंथ में है ...और उसकी शरारतों के किस्से निवेदिता बताने लगी ... कैसे आशिता लड़कों की तरह बिहेव करती थी...उनकी टोली में ४  लड़कियां थीं और ५ लड़के, पूरा स्कूल उनके ग्रुप से डरता है ... निवेदिता अब मुस्कुरा रही थी ...

देवास पर ट्रेन रुकी तो आनंद ने पूछा ...चाय ...?
निवेदिता ने हाँ बोला ...
आनंद चाय लेके आया तो निवेदिता ने कहना शुरू किया ...
आनंद तुम रात को पूछ रहे थे न ...मैं उदास क्यों हूँ ...
हाँ ...और तुमने झूठ बोल दिया था ...आनंद मुस्कुराया ...
निवेदिता भी हंसी ...एक्चुअली मैंने इस कंपनी को ज्वाइन किया तब मेरे कुछ इम्प्रेशंस थे ...कुछ चीज़ें उम्मीद से बढ़कर थीं ...कुछ चीज़ों में निराशा ही हुई ...
क्या चीज़ उम्मीद से बढ़कर थी ...आनंद ने पूछा
तुम ... आय मीन सब लोग ... बड़े फ्रेंडली हैं, कोई पॉलिटिक्स नहीं ...इजी गोइंग हैं सब ...
और क्या चीज़ें अच्छी नहीं लगी ...
नहीं ऐसी बात नहीं सब अच्छा है ...मैंने कहा न कुछ इम्प्रेशंस ...सो इम्प्रेशंस से मैच नहीं हुई कुछ चीज़ें ...
आनंद ने एक लम्बी सांस ली और कहना शुरू किया ...आय थिंक तुमको फ्लाइट के लिए कुमुद मैडम ने मना किया ...एक्चुअली हमारे बॉस ने जब यह कंपनी शुरू की तो शुरुआती सालों में बहुत स्ट्रगल किया...कुछ अच्छे लोग उनको मिले तो कंपनी आगे बढ़ी ...आज भी फ़िज़ूल खर्च हमारी कम्पनी में नहीं होता ... मैंने ज्वाइन किया था, कुछ ३ महीने बाद ही एक बार मुझे अहमदाबाद  किसी एक्सपो में जाना था, ट्रैन में टिकट नहीं था...कुछ क्लाइंट्स से मिलना ज़रूरी था जो एक्सपो विज़िट कर रहे थे ... मैंने बॉस को कहा मैं कार से चला जाता हूँ, पर बॉस ने एच.आर. को फ्लाइट टिकेट के लिए बोल दिया ...जहाँ जरूरत होती है वहां खर्च किया जाता है ...
आय अंडरस्टैंड आनंद ... निवेदिता ने सर हिलाते हुए एग्री किया...
निवि अपने काम को इम्प्रूव करो ...थिंग्स विल फॉलो ...आनंद ने कहा

ट्रैन इंदौर स्टेशन पहुँच रही थी, आनंद और निवेदिता ने अपने बैग्स लिए और दरवाज़े की तरफ बढ़ने लगे ...
स्टेशन पर दोनों उतरे तो वहां किशन उनको रिसीव करने आया हुआ था, जो इंदौर ब्रांच हेड था ...
सर, मैडम गुड मॉर्निंग ...होप आपका सफर अच्छा रहा ...
आनंद और निवेदिता मुस्कुराये और साथ चल दिए ...किशन से एक्सपो में मिलने का समय तय हुआ, और किशन अपनी कार से बाय  कहकर निकल गया और स्टेशन से आनंद और निवेदिता को एक कार उनके होटल तक लेकर गयी ...
होटल में निवि और आनंद के रूम्स अलग अलग थे ... दोनों अपने रूम्स के की कार्ड्स लेके पहुंचे, आमने सामने थे दोनों के रूम ...

आनंद ने कहा ... नाइन थर्टी मिलते हैं लॉबी में ... गेट रेडी
श्योर आनंद ...
ठीक साढ़े नौ बजे दोनों रूम्स के दरवाज़े साथ खुलते हैं ... आनंद और निवेदिता मुस्कुराते हैं और एक दूसरे को देखते हैं...
आनंद ने बीझ कलर की ट्राउज़र्स पर नेवी ब्लू कोट और वाइट शर्ट विथ मैरून टाई पहनी हुई थी ...निवेदिता उसे एकटक देखने लगी ...
निवेदिता ने ब्लैक स्ट्रिपड ट्राउज़र्स पर ब्लैक कोट और बेबी पिंक शर्ट पहना हुआ था...हल्का मेकअप, लिपस्टिक और आयलाइनर में वो बेहद खूबसूरत लग रही थी ...आनंद ने उसे कॉम्पलिमेंट किया और दोनों लिफ्ट की तरफ बढ़े ...
लिफ्ट में  निवेदिता कहने लगी ... आनंद यू आर लुकिंग लाइक परफेक्ट जेंटलमैन ... एक लम्बी स्माइल के साथ
आनंद मुस्कुराया ...ये फॉर्मल्स ज़्यादा पसंद नहीं मुझे पर क्या करें मौका देख कर भेस बनाना पड़ता है ...
निवेदिता ठहाका मार के हंस दी ...
आनंद ने कहा ... वैसे आप मैडम भी कॉर्पोरेट कल्ट कैरी  कर रहे हो ...यू आर लुकिंग स्प्लेंडिड ...
निवेदिता मुस्कुरायी और कहा ...मुझे आदत है अपनी तारीफ सुनाने की मगर आप से सुनकर अच्छा लगा ...
अब आनंद हसने लगा ...

दोनों कार में बैठे जो किशन ने अरेंज की थी ...कार में पिछली सीट पर बैठे तो निवेदिता ने कहा....इन्नोवा की जगह कोई छोटी गाड़ी ही भेज देता किशन, व्हाई अननेसेसरी एक्सपेंस ....आनंद मुस्कुराया ...बोला... कंपनी कल्चर सीख रहे हो आप निवि ... निवेदिता हंसी ...

शाम को एक्सपो से फ्री होकर आनंद ने निवेदिता से कहा, तुम होटल पहुँचो ...मुझे किसी रिश्तेदार से मिलने जाना है ...मिलता हूँ होटल में ...
निवेदिता चली गयी ...

आनंद ने आदित्य को फ़ोन लगाया, वो आनंद को पिक करने आ रहा था ...
आनंद आदित्य के साथ पूनम के मामाजी के घर पहुंचा, काफी बड़ी जगह में मकान था, आगे गार्डन और बड़े से हॉल को ड्राइंग कम  डाइनिंग का लुक दिया था ...आनंद कुछ असहज था पर मामाजी और मामीजी के आत्मीय व्यवहार ने उसको घर का सा फील दिया ... घर और काम की काफी बातें हुई और खाने के बाद आनंद आदित्य के साथ होटल के लिए निकला तो आदित्य ने एक पान की दूकान पर गाडी रोकी और पान बनाने के लिए बोला...
आनंद सर यहाँ का पान खाएंगे तो भूल नहीं पाएंगे ...
आनंद ने कहा ... आनंद ही ठीक है ... आनंद सर काफी भारी लगता है ...
दोनों हंसने लगे ...
आनंद ने होटल पहुँच कर आदित्य को कहा कि कॉफ़ी पीते हैं ...आदित्य ने आदर भाव से मना कर दिया और देर होने की बात कहकर अपने घर चल दिया ...फिर मिलने के वादे के साथ ...

आनंद रूम में पहुंचा और पूनम को कॉल लगाया ...हाँ चाँद कैसी हो
मिल गयी फुर्सत ...दिन में फ़ोन लगाया उठाया क्यों नहीं ...
अरे भई ...एक्सपो में काफी काम था और फिर निवि भी साथ थी तो ...
निवि ...वाह उस कबूतरी ने जादू कर दिया ...
अरे नहीं, अच्छी लड़की है ...तुम बताओ आज का दिन कैसा रहा ...ऑफिस में क्या चल रहा है ...
पूनम नार्मल हुई...कुछ खास नहीं बस शेफ़ाली  की बक बक सुनी आज पूरे दिन ...
आनंद ठहाका मार के हंसा, अरे वो तो तुम्हारी बी एफ एफ (बेस्ट फ्रेंड फॉर लाइफ) है न...
पूनम भी हंस पड़ी ...शेफाली बहुत प्यारी है मगर बात बहुत करती है ...
हाँ सो तो है ...आनंद ने कहा ...
यह सब बातें चल ही रही  थी की आनंद के फ़ोन पर निवेदिता का कॉल आया ...
सुनो चाँद ... मैं वापस कॉल करता हूँ ...एक फ़ोन आ रहा है ...
हाँ ...आराम से ...

आनंद ने निवेदिता का कॉल लिया ...
हाय ... कब तक आओगे होटल ...
मैं तो आ गया ... कुछ १५ मिनट  हुए ...
ओके ...कहकर निवेदिता ने फ़ोन डिसकनेक्ट किया ...

आनंद के रूम की डोर बेल बजी, आनंद ने उठकर दरवाज़ा खोला तो निवेदिता थी
आनंद सर खाना नहीं खाओगे ...थोड़ी देर में रेस्टोरेंट भी बंद हो जाएगा ...
अरे ...मैं बताना ही भूल गया ...मैंने डिनर कर लिया, जहाँ गया था उन्होंने खाने बिना जाने नहीं दिया ...
ओके ...मगर साथ तो चल सकते हो ...मुझे अकेले खाना खाने की आदत नहीं ...
श्योर ...
और दोनों रेस्टोरेंट पहुंचे ... खाना आर्डर हुआ और कुछ एक्सपो की बातें हुई, दूसरे दिन क्या मीटिंग्स हैं, ट्रैन भी थी शाम को ...
खाना आया तो निवेदिता ने आनंद से पुछा ...कुछ तुम भी खालो ...
नहीं यार आय ऍम फुल ...तुम खाओ, मैं कंपनी देने के लिए हूँ सिर्फ ...
निवेदिता खिलखिला के हंस पड़ी ...

खाना ख़त्म करने के बाद दोनों बात करते हुए अपने रूम्स की तरफ बढ़े ...
निवेदिता ने कहा ... मिस्टर आनंद आपने खाना खाया नहीं अब मेरे साथ कॉफ़ी पीनी पड़ेगी...
निवेदिता के ज़ोर देने पर दोनों निवेदिता के रूम पहुंचे, आनंद ने नज़र घुमायी ...बेड एकदम ठीक था, ड्रेसिंग टेबल पर सब सामान करीने से रखा हुआ था, ट्राली एक कोने में रखी हुई थी, टी.वी. के नीचे टेबल पर फाइल्स व्यवस्थित तरीके से रखी  हुई थी
तुम बड़ी ऑर्गनाइज़्ड हो निवि ...
थैंक्स आनंद ...
निवेदिता ने रूम सर्विस कॉल कर के कॉफ़ी मंगवाई और अपने ब्लूटूथ स्पीकर पर कुछ पुराने रोमांटिक हिंदी गाने चलाये...
यू नो आनंद पुराने गाने अभी भी बहुत सुकून देते हैं ...
इनफैक्ट मुझे भी पुराने हिंदी फिल्मों के गाने पसंद हैं ...
ग्रेट आनंद, हमारी पसंद कहीं तो मिलती है ...दोनों मुस्कुराये
तभी कॉफ़ी आ गयी ...
रूम में मद्धम रौशनी थी...
निवेदिता ने बॉय को टिप दिया और उसके जाने के बाद दरवाज़ा लॉक किया ...
दोनों कॉफ़ी पीने लगे, रूम में धीमा संगीत बज रहा था, आनंद बेड पर तकिये के सहारे बैठा था और चेयर पर निवि ...निवि ने शूज खोले और कॉफ़ी हाथ में लिए बेड पर दूसरे साइड जाकर बैठ गयी ... दोनों कॉफ़ी के सिप ले रहे थे ...ब्लूटूथ पर एक हसीना से मुलाक़ात हो गयी चल रहा था...

एक अजनबी हसीना से
यूँ मुलाकात हो गई
फिर क्या हुआ
ये ना पूछो
कुछ ऐसी बात हो गई
एक अजनबी हसीना से
यूँ मुलाकात हो गई

आगे क्या हुआ... अगली कड़ी में

- मनोज के.

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